आरक्षण व्यवस्था के लिए जातियों के पुनः निर्धारण की मांग वाली याचिका दायर करने पर वकील पर 25000 का जुर्माना

 हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें आरक्षण के संदर्भ में जातियों के पुनः निर्धारण की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने आरक्षण के संदर्भ में वर्तमान जातीय वर्गीकरण को गलत बताते हुए इसके पुनः निर्धारण के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका दायर की थी।                                 मामले के अनुसार सचिन गुप्ता नामक एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने वर्तमान में SC/ST/OBC मैं शामिल जातियों के पुनः निर्धारण के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की मंशा आरक्षण के दायरे में शामिल कुछ जातियों को आरक्षण के दायरे से बाहर निकलवाने की थी।                                                   याचिका सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की खंडपीठ के समक्ष आयी। तो इस प्रकार की याचिका दायर करने पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त की और याचिकाकर्ता पर 25000 का जुर्माना लगा दिया।                                           अदालत ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस प्रकार की जनहित याचिका दायर कर याचिकाकर्ता ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। और अदालत का बहुमूल्य समय नष्ट किया है इसलिए जुर्माना लगाया जाना आवश्यक है। अदालत ने याचिकाकर्ता को आदेश दिया। कि वह जुर्माने की राशि 2 सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के एडवोकेट वेलफेयर फंड में जमा कर उसकी रसीद अदालत के समक्ष पेश करें।
INDIAN LAW EXPRESS

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