वर्तमान में जिला स्तर तक की न्यायपालिका जिसे लोअर कोर्ट जुडिशियरी कहा जाता है। उसमें न्यायाधीशों का चयन राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से किया जाता है। इसके विपरीत हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम के माध्यम से की जाती है। जिसमें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में किसी भी प्रतियोगी परीक्षा का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि भारतीय संविधान में कॉलेजियम सिस्टम का कहीं भी उल्लेख नहीं है। भारतीय संविधान संपूर्ण देश के लिए एकीकृत न्यायपालिका के गठन की वकालत करता है। जिस प्रकार संपूर्ण देश के लिए एकीकृत भारतीय प्रशासनिक सेवा है। संविधान में उसी प्रकार संपूर्ण देश के लिए भारतीय न्यायिक सेवा के गठन पर बल दिया गया है। जिससे कि देश की एकता और अखंडता को और अधिक मजबूती मिले। लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के इतने वर्षों बाद भी सरकार ने इस ओर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है। कॉलेजियम सिस्टम से पूर्व तक हाईकोर्ट र्और सुप्रीमकोर्ट में जजों की नियुक्ति सरकार की मनमर्जी से होती थी। कॉलेजियम सिस्टम आने के बाद से सरकार की मनमर्जी पर अंकुश लगा है। फिर भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति में सरकार के हस्तक्षेप से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कॉलेजियम सिस्टम पर जजों की नियुक्ति में भाई-भतीजावाद और जातिवाद के आरोप भी लगते रहते हैं। जजों की नियुक्ति में सरकार के हस्तक्षेप तथा भाई- भतीजावाद और जातिवाद से देश के जागरूक मन में चिंता है। अधिकांश लोग चाहते हैं कि देश की उच्च न्यायपालिका में भी जजों की नियुक्ति स्वतंत्र रूप से प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से होनी चाहिए। इसके लिए वे सरकार से अनुरोध नहीं करते रहते हैं। सरकार ने लोगों के अनुरोध पर कोई कार्यवाही करने का सोचा भी है या यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकताओं से दूर ही है। इसे जानने के लिए राज्यसभा में केंद्रीय कानून मंत्री से एक प्रश्न पूछा गया था। कि क्या सरकार हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं कराने पर विचार कर रही है ? इस लिखित प्रश्न का उत्तर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह कहते हुए दिया है। कि हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए सरकार किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षा कराने पर कोई विचार नहीं कर रही है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्टो में न्यायाधीशों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 के प्रावधानों के अनुसार की जाती है। आगे भी उन्हीं के अनुसार की जाती रहेगी।
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