पुलिस अधिकारी आरोपी के प्रभाव में ठीक से जांच नहीं कर रहा है। तो फरियादी की शिकायत पर न्यायिक मजिस्ट्रेट जांच की निगरानी कर सकता है- इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है। कि अगर पुलिस एफ आई आर दर्ज नहीं करती है। तो न्यायिक मजिस्ट्रेट को यह अधिकार है कि वह पुलिस को एफ आई आर दर्ज करने का आदेश दे सकता है। इसी के साथ अदालत ने कहा है। कि अगर एफ आई आर दर्ज करने के बाद पुलिस आरोपी के प्रभाव में ठीक से जांच नहीं करती है। तो फरियादी की शिकायत पर न्यायिक मजिस्ट्रेट जांच की निगरानी कर सकता है। और जांच अधिकारी को सही से जांच करने का निर्देश दे सकता है। इसके बावजूद अगर जांच अधिकारी ठीक से जांच नहीं करता है। और फरियादी को लगता है कि जांच अधिकारी जांच में कोताही कर रहा है। तो वह सीआरपीसी की धारा 156 (3) के प्रावधान के तहत जांच किसी अन्य पुलिस अधिकारी को सौंप दिए जाने का अनुरोध न्यायिक मजिस्ट्रेट से कर सकता है। न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास यह अधिकार है। कि वह जांच को किसी अन्य अधिकारी या किसी अन्य जांच एजेंसी को जांच करने का आदेश दे सकता है।                           जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा और जस्टिस विवेक कुमार सिंह की खंडपीठ ने सीआरपीसी की धारा 156 (3) के प्रावधानों का जिक्र तब किया। जब याचिकाकर्ता ने जांच अधिकारी पर निष्पक्ष जांच ना करने का आरोप लगाते हुए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर कर मामले की निष्पक्ष जांच हेतु आदेश देने का अनुरोध किया था। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि जांच से असंतुष्ट पक्षकारों को अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर करने की बजाय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत उपलब्ध उपचारों का प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के अंतर्गत न्यायिक मजिस्ट्रेट को इन्वेस्टिगेशन की निष्पक्ष जांच और निगरानी करने का अधिकार है।                                                                    मामले के अनुसार फरियादी राजेश कुमार यादव ने कौशांबी जिले के थाना पिपरी में दहेज हत्या सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मृतका के पति और अन्य लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई थी। लेकिन एफ आई आर दर्ज होने के 3 महीने से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद जांच अधिकारी ने ना तो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। और ना ही अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें आरोप लगाया गया था। कि जांच अधिकारी आरोपियों के प्रभाव में है। और मामले की सही से जांच नहीं कर रहा है। याचिका के माध्यम से याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया था कि वह निष्पक्ष जांच करने का आदेश जांच अधिकारी को दें।
INDIAN LAW EXPRESS

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