सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करने वाला व्यक्ति पोस्ट की सामग्री और परिणामों के लिए जिम्मेदार - मद्रास हाई कोर्ट

 मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही मे तमिल अभिनेता और भारतीय जनता पार्टी के नेता एस वी शेखर के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने से इंकर कर दिया। अभिनेता के खिलाफ मामला तक दर्ज किया गया था जब उसने एक सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर किया था। जिसमें पत्रकारों विशेषकर महिला पत्रकारों के बारे में आपत्तिजनक और अपमानजनक सामग्री थी।                                अदालत ने मामले को रद्द करने से इनकार करते हुए टिप्पणी की है। जब वह व्यक्ति सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट करता है अथवा शेयर करता है। तो पोस्ट को अधिक पसंद किए जाने पर व्यक्ति को प्रसन्नता की अनुभूति होती है। अगर किसी पोस्ट के कारण किसी व्यक्ति का अपमान होता है। तो अपमान करने का परिणाम भुगतने के लिए भी उससे तैयार रहना चाहिए।                मामले के अनुसार आरोपी ने अप्रैल 2018 में एक पोस्ट को सोशल मीडिया पर शेयर किया था। जिसके बाद आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए आरोपी के घर के बाहर और राज्य में कई जगह प्रदर्शन हुए थे। जिसके बाद कई स्थानों पर उसके विरुद्ध मामले दर्ज किए गए थे। आरोपी ने इन्हीं मामलों को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। आरोपी का कहना था कि उससे गलती हुई है। क्योंकि उसने पोस्ट की सामग्री को देखे और पढ़े बगैर अनजाने में ही पोस्ट को आगे भेज दिया था। और जैसे ही उसे पोस्ट की सामग्री के बारे में पता चला। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। और पोस्ट को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से डिलीट कर दिया था। उसके द्वारा जिस दिन पोस्ट शेयर की गई थी। उसी दिन डिलीट भी कर दी गई थी। और आपत्तिजनक पोस्ट शेयर करने के लिए माफी भी मांग ली थी।                                                                     अदालत ने कहा आरोपी ऐसा कहकर कि उसने पोस्ट अनजाने में ही शेयर कर दी थी। पोस्ट शेयर कर अपमान करने वाले कृत्य के परिणामों से बच नहीं सकता है। इसके लिए उसे ट्रायल कोर्ट में स्थापित करना होगा कि उसने पोस्ट अनजाने में शेयर की थी। पोस्ट की सामग्री के बारे में उससे कोई जानकारी नहीं थी।                       माफी मांगने के संदर्भ में अदालत ने कहा कि शेयर किया जा चुका पोस्ट उस तीर के समान है जो पहले ही धनुष से बाहर जा चुका है। उससे जो हानि  होनी थी, हो चुकी है। जो दुष्परिणाम आने थे। आ चुके हैं। इन  दुश्परिणामों को सुपरिणामों में नहीं बदला जा सकता है। शिकायतकर्ताओं का जो अपमान हो चुका है। उसको किसी भी तरह से बदला नहीं जा सकता है। इसलिए आरोपी को माफ नहीं किया जा सकता है।                   अदालत में यह देखते हुए कि आरोपी के विरुद्ध लगाए गए आरोपों से अपराध का स्पष्ट गठन होता है।मामले को रद्द करने से इंकार कर दिया।
INDIAN LAW EXPRESS

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