केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में एक सांसद के प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए कहा है। कि पिछले 5 साल में बतौर हाईकोर्ट जज के रूप में नियुक्ति पाने वाले 604 में से 458 जज सामान्य श्रेणी के हैं। कानून मंत्री लोकसभा में सांसद के उस प्रश्न का जवाब दे रहे थे। जिसमें उनसे हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में कमजोर वर्गों ओबीसी समुदाय, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदाय, अल्पसंख्यक एवं महिलाओं के असमान प्रतिनिधित्व के बारे में पूछा गया था। कानून मंत्री से प्रश्न किया गया था। क्या यह सही है। कि पिछले 5 वर्षों की अवधि में सभी हाईकोर्ट म नियुक्त किए गए 79% जज उच्च जातियों से हैं। अगर यह सही है। तो सरकार ने समाज के अन्य वर्गों को हाईकोर्ट में जजों के रूप में प्रतिनिधित्व देने के लिए क्या कदम उठाए हैं। इसी के साथ यह प्रश्न भी पूछा गया था । कि क्या कॉलेजियम सिस्टम के बाद से कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व न्यायपालिका में कम हुआ है। क्योंकि समाज के कमजोर वर्गों का न्यायपालिका में नाम मात्र का प्रतिनिधित्व उनके साथ भेदभाव का प्रतीक है। कानून मंत्री ने सांसद को बताया कि पिछले 5 वर्षों की अवधि के दौरान विभिन्न हाईकोर्ट में 604 जजों की नियुक्ति की गई थी। उनमें से 458 जज ऊंची जातियों से हैं। शेष 146 जजों में से 133 जज समाज के कमजोर वर्गों से हैं। नियुक्ति पाने वाले 13 जजों का इस संबंध में कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। कि वह किस समाज से संबंध रखते हैं। कमजोर वर्गों के 133 जजों में से 72 ओबीसी समाज से हैं। 34 अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। 18 अनुसूचित जाति समाज से हैं और 9 अनुसूचित जनजाति समाज से हैं। न्यायपालिका में समाज के सभी वर्गों को समान प्रतिनिधित्व देने के प्रश्न पर कानून मंत्री ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 के तहत की जाती है। जिसके अंतर्गत समाज के किसी भी वर्ग या जाति को आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है। कानून मंत्री का कहना था। कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टौ में न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश कॉलेजियम के माध्यम से की जाती है। इसलिए सरकार उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध करती रही है। कि जजों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय जजों की नियुक्ति में समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए समाज के सभी वर्गों की उपयुक्त उम्मीदवारों पर विचार किया जाना चाहिए। कानून मंत्री ने अपनी बात को यह कहते हुए समाप्त किया है। कि हाल के वर्षों में कॉलेजियम के प्रस्तावों से पता चलता है। कि जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिश भेजते समय कॉलेजियम ने सामाजिक विविधता को ध्यान में रखते हुए जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिशें की हैं।
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Upper castes judges in High Courts