डॉक्टर बी आर अंबेडकर की तस्वीरों को तमिलनाडु की अदालतों से हटाए जाने की खबर मीडिया में आने के बाद तमिलनाडु सरकार में कानून मंत्री एस रघुपति ने मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विजय कुमार गंगापुर वाला से मुलाकात की थी। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को सरकार के इस रुख से अवगत कराया था। कि सरकार राज्य की अदालतों से डॉक्टर बी आर अंबेडकर की तस्वीरों को हटाने के पक्ष में नहीं है। और राज्य की अदालतों से डॉक्टर बी आर अंबेडकर की तस्वीरों को नहीं हटाया जाना चाहिए। कानून मंत्री ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है। मुख्य न्यायाधीश ने मुलाकात के दौरान कहा कि किसी भी नेता की तस्वीरें हटाने का कोई आदेश नहीं दिया गया है। और यथास्थिति जारी रहेगी। मद्रास उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने 7 जुलाई को एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा था ।रजिस्ट्री ने समय-समय पर अदालत परिसर में डॉक्टर बी आर अंबेडकर के चित्र लगाने की अनुमति मांगने वाले अधिवक्ता संघों के अभ्यावेदन पर विचार किया था। सर्कुलर में कहा गया है कि इस मुद्दे पर 11 अप्रैल सहित कई मौकों पर मद्रास उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ द्वारा विचार किया गया था। और सर्वसम्मति से प्रस्ताव किया गया कि महात्मा गांधी और संत तिरुवल्लुवर की मूर्तियों और चित्रों को छोड़कर कोई अन्य चित्र अदालत परिसरों में नहीं लगाए जाएंगे। संकल्पों का हवाला देते हुए सर्कुलर में राज्य की अदालतों से मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले का कड़ाई से पालन करने को कहा गया था। और किसी भी विचलन के मामले में कार्यवाही की चेतावनी दी गई थी। रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी सर्कुलर ने राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता, सामाजिक संगठनों, और वकीलों के एक बड़े वर्ग को निराश किया था। क्योंकि उनका मानना है। भारत के प्रथम कानून मंत्री और संविधान निर्माता के रूप में डॉक्टर बी आर अंबेडकर की तस्वीरें देश की सभी अदालत परिसरों और अदालत कक्षाओ में होनी चाहिए। मद्रास हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा ज़ारी सर्कुलर से निराश और नाराज लोगों ने सर्कुलर के विरोध में प्रदर्शन किए थे। और मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर जारी किए गए सर्कुलर पर पुनर्विचार करने की मांग की थी।
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