सुप्रीम कोर्ट में लिव इन रिलेशन से जन्मे बच्चों के पैतृक संपत्ति में अधिकार को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। कि अगर पुरुष और महिला लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह साथ रहे हैं। तो अनुमान लगाया जा सकता है। कि दोनों ने शादी की होगी और इस आधार पर उनके बच्चों का पैतृक संपत्ति पर भी हक होगा। मामले के अनुसार कत्तूकंडी इधानिल करनल वैधार की संपत्ति को लेकर विवाद था। करनल वैधार के दामोदरन,अच्युतन,शेखरण, और नारायण नामक चार बेटे थे। याचिकाकर्ता का कहना था कि वह दामोदरन का बेटा है। मामले में प्रतिवादी करुणाकरन का कहना था कि वह अच्युतन बेटा है। कर्नल वैधार के दो बेटों शेखरन और नारायण की मौत हो चुकी थी। उन्होंने शादी नहीं की थी इसलिए उनकी कोई संतान नहीं थी। करुणाकरन का कहना था कि वह अच्युतन की इकलौती संतान है। अच्युतन के बाकी तीन भाइयों ने शादी नहीं की थी। इसलिए दामोदरन की संतान होने का दावा गलत है। उसका कहना था कि याचिकाकर्ता की मां ने दामोदरन से शादी नहीं की थी। इसलिए याचिकाकर्ता दामोदरन की वैध संतान नहीं है। और पैतृक संपत्ति में हक का दावेदार नहीं हो सकता। संपत्ति विवाद के इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने माना कि दामोदरन याचिकाकर्ता की मां चिरुथाकुट्टी के साथ लंबे समय तक रहा। इसलिए माना जा सकता है कि दोनों ने शादी की थी। ट्रायल कोर्ट ने विवादित संपत्ति को दो भागों में बांटने का आदेश दिया। ट्रायल कोर्ट के आदेश को करुणाकरन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। केरल हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि दामोदरन और चिरुथाकुट्टी के लंबे समय तक साथ रहने के सबूत नहीं है। दस्तावेजों से भले ही यह साबित होता है कि वादी दामोदरन का बेटा है लेकिन वैध संतान नहीं है। इसलिए संपत्ति का हकदार भी नहीं है। केरल हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट में अपील की सुनवाई के दौरान अदालत ने माना कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि दामोदरन और तथा चिरुथाकुट्टी लंबे समय तक पति-पत्नी के रूप में साथ रहे थे। जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस विक्रम नाथ की खंडपीठ ने कहा कि अगर एक पुरुष और महिला लंबे समय तक पति-पत्नी के रूप में साथ रहे हो तो माना जा सकता है कि दोनों में शदी हुई थी। ऐसा अनुमान भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत लगाया जा सकता है। अदालत ने कहा इसका खंडन भी किया जा सकता है लेकिन इसके लिए साबित करना होगा कि दोनों भले ही लंबे समय तक साथ रहे लेकिन उन्होंने शादी नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का प्रभाव यह होगा कि लिव इन रिलेशन में रह रहे स्त्री पुरुष से जन्मी संतान को भी पैतृक संपत्ति में हक मिलेगा। इस फैसले से पूर्व लंबे समय तक साथ रहे स्त्री पुरुष से जन्मी संतान को पैतृक संपत्ति में हक नहीं मिलता था। इन्हें वैध
संतान नहीं माना जाता था।
संतान नहीं माना जाता था।