महिलाओं के शव के साथ यौन संबंध बनाने वाले अपराधियों को दंडित करने के लिए केंद्र सरकार भारतीय दंड संहिता में संशोधन करें - कर्नाटक हाई कोर्ट

महिला की हत्या कर उसके शव के साथ बलात्कार करने के एक आरोपी की अपील पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह महिलाओं के शव के साथ यौन संबंध बनाने वाले अपराधियों को दंडित करने के लिए भारतीय दंड संहिता में संशोधन करें । क्योंकि भारतीय दंड संहिता में महिला के शव साथ बलात्कार करने पर सजा का कोई प्रावधान नहीं है। शव ना तो बोल सकता है और ना ही विरोध कर सकता है इसलिए जीवित व्यक्तियों की यह जिम्मेदारी है कि वह शव के लिए आवाज़ उठाएं।                                       ‌‌‌‌ अदालत ने कहा है कि अनेक बार सुनने में आता है। लोग महिला के सब के साथ बलात्कार करते हैं। सरकारी और निजी अस्पतालों के मुर्दाघर सहित जहां शबों को रखा जाता है। उन मुर्दाघर के कर्मचारियों द्वारा जवान मृत महिलाओं के शबों साथ बलात्कार किया जाता है।                                                                  ‌‌‌‌‌      ‌‌     संबंधित अपील की सुनवाई करते हुए अदालत ने बलात्कार की व्याख्या को स्पष्ट करते हुए कहा कि बलात्कार किसी व्यक्ति से किया जाना चाहिए। व्यक्ति के शव से नहीं। बलात्कार पीड़ित व्यक्ति की सहमति के विरुद्ध किया जाना चाहिए। मृत शरीर बलात्कार के लिए सहमति या असहमति व्यक्त नहीं कर सकता है। सहमति किसी प्रकार का भय दिखाकर हासिल की गई हो तो भी बलात्कार होता है। मृत शरीर को ना तो किसी प्रकार का भय होता है और ना ही वह विरोध कर सकता है। अदालत ने कहा कि बलात्कार के अपराध की अनिवार्यता में बलात्कारी के प्रति आक्रोश और बलात्कार पीड़ित की भावनाएं शामिल हैं। शव की ना तो कोई भावनाएं होती हैं और ना ही वह आक्रोश व्यक्त कर सकता है। इस प्रकार शव के साथ किया जाने वाला यौन अपराध बलात्कार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। इस प्रकार के अपराध को पर परपीड़न या नैक्रोफीलिया कहां जा सकता है। महिला के शव के साथ संभोग करने वाले व्यक्तियों पर आईपीसी की धारा 376 के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। अदालत ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 और 377 के प्रावधानों को पढ़ने से स्पष्ट होता है कि मृत शरीर को मानव या व्यक्ति नहीं माना जा सकता है। इस कारण आईपीसी की धारा 375 या 377 के प्रावधान लागू नहीं होते हैं।                                                अदालत ने इस प्रकार के अपराध करने वालों को दंडित करने के लिए भारतीय दंड संहिता में संशोधन करने का सुझाव केंद्र सरकार को दिया है।                                 इस निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद कि शव के साथ संभोग करने वालों को दंडित करने के लिए भारतीय दंड संहिता में कोई प्रावधान नहीं है। सजा के प्रावधान के अभाव में अदालत ने आरोपी को बलात्कार के आरोपों से मुक्त कर दिया।                               ‌‌                     अदालत ने मृत व्यक्ति की गरिमा सुनिश्चित करने के लिए तथा इस प्रकार के अपराधों की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार को भारतीय दंड संहिता में संशोधन करने का सुझाव दिया है।

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